ज़िन्दगी की तंग बेरंग गलियों में रहा बैठा बरसो
अब उस की गलियों में बदतमीजियों का मजा आ रहा है
सलीके से जीने में क्या रखा है यारों
अब बेपरवाह आवारगी में बड़ा मजा आ रहा है
डाल से टूट नदिया में गिरा तो गम नहीं
नदिया के धारे में रपटने में मजा आ रहा है
तसल्ली मत दे मुझको मेरे मालिक
अब इन बढती बेचैनियों में मजा आ रहा है !!
अब उस की गलियों में बदतमीजियों का मजा आ रहा है
सलीके से जीने में क्या रखा है यारों
अब बेपरवाह आवारगी में बड़ा मजा आ रहा है
डाल से टूट नदिया में गिरा तो गम नहीं
नदिया के धारे में रपटने में मजा आ रहा है
तसल्ली मत दे मुझको मेरे मालिक
अब इन बढती बेचैनियों में मजा आ रहा है !!