Wednesday, June 27, 2012

तसल्ली मत दे मुझको मेरे मालिक ..

ज़िन्दगी की तंग बेरंग गलियों में रहा बैठा बरसो


अब उस की गलियों में बदतमीजियों का मजा आ रहा है

सलीके से जीने में क्या रखा है यारों

अब बेपरवाह आवारगी में बड़ा मजा आ रहा है

डाल से टूट नदिया में गिरा तो गम नहीं

नदिया के धारे में रपटने में मजा आ रहा है

तसल्ली मत दे मुझको मेरे मालिक

अब इन बढती बेचैनियों में मजा आ रहा है !!

Wednesday, June 20, 2012

शौक

आबेज़ार से किस्मत लिखी मेरी


की आबिद को शौक हज़ार दिए

बदबख्ती ये की न दिया तो इक एक वक़्त

न मौज में डूबे हुए हमराह ही दिए



Tuesday, June 19, 2012

माँ भारती का क्रोध

मेरी चीत्कार से भी न खुली


जो आखें उनको बंद कर दो

मेरी रक्षा में उठे न जो

वो हाथ अपने छिन्न कर दो

कभी मेरे  ही आँगन में जो खेली

वो जवानी नष्ट कर दो

भ्रष्ट है सारी ही दुनिया

अब प्रलय का संधान कर दो

राम के तरकश में देखो

तीर अब भी अनगिनत हैं

कर दो चढ़ाई निडर हो

कलियुगी मानव पे अब तो

Monday, June 18, 2012

मैं एक एक पल बेमतलब जिए जा रहा हूँ

फासले मेरी मंजिलों से लगातार बढ़ रहे हैं


एक मैं हूँ की शिद्दत ही नहीं ला पा रहा हूँ

चाहतों के सिलसिले छोटे नहीं

पर ख्वाबों के बाद अपनी आँखें नहीं मसल पा रहा हूँ

इस खुमारी से निकलना बड़ा मुश्किल है

मैं एक एक पल बेमतलब जिए जा रहा हूँ


Thursday, June 14, 2012

सबको अपना काम बे-आराम करते देखता हूँ

समंदर की लहरों को देखता हूँ


बिना थके

इधर से उधर उधर से इधर

छप्प्क छप्प्पक जूम sssssrsrrrr



उगते सूरज को सुबह और

डूबते को हर शाम देखता हूँ

चंदा की भी वही कहानी है

बस उसको बेमतलब आवारा

बिना काम देखता हूँ

नदिया की लहरों का

क्या कहूँ

उसको तो बस इक तरफ दौड़ते

हर मौसम आम देखता हूँ



उन हसते हुए फूलों को देखो

हसते खिलखिलाते

कली से उन्हें मुरझाते तमाम देखता हूँ

धरती मैय्या का बलिदान देखो

हमे अपने ऊपर धोते

घुमडैया घुमडैया खेलते

थक कर बे-आराम देखता हूँ

Wednesday, June 6, 2012

जिंदा रहना मरने से कहीं अच्छा है शायद

जाने कब से ज़िन्दगी को कोस रहा हूँ


मौत की तारीफें कर रहा हूँ

ऊपर वाले की इस देन को

तोहफा समझूं या सजा

यही नहीं समझ आता

जब भी कहीं दुःख और परेशानी दिखती है

मन भर आता है

एक पल को भी सहा नहीं जाता

सोचता हूँ क्या जीना इतना जरुरी है

ये ज़िन्दगी अपना गुलाम बना कर राखी है सबको

कितनी बुराइयाँ कर चुका हूँ उसकी

पर मरने की दुआ मांगने की हिम्मत भी तो नहीं होती

जिंदा रहना मरने से कहीं अच्छा है शायद !