Thursday, August 5, 2010

कुछ - 2

ख्याल हैं मेरे मन में
कुछ टूटे से कुछ बिखरे से
तेरी याद में हैं मेरे दिल के तार
कुछ बेचैन से कुछ बिफरे से !!
मैं आके तेरी बाँहों में यूँ
गिरता था जैसे
अरमान हों मेरी आहों में
कुछ अधूरे कुछ भूले बिसरे से !!
यादों के साये तेरे
कुछ अँधेरे कुछ उजले से
मैं भीगा जाता हूँ मेरे ही अपने आंसुओं से
दर्द आज हैं मेरे दिल के
कुछ दबे कुछ उभरे से !!
वो शरारतें तुझे ढूंढती हैं
कभी खुल के कभी चुपके से
क्या याद है तुम्हे वो दिन
जब चले थे हम बारिश में
कुछ भीगे कुछ ठिठुरे से !!