तुम सकुचाये पल भर को
नयना दृग भर आये यूँ
दूर तलक फैले नभ में
मेघ तभी घिर आये ज्यूँ
मतवारे मन के आँगन में
हस के फूल खिलने वालों
गरज बरसती बारिश में यूँ
नृत्य सुधा बरसाने वालों
गिरिधर के न आने से ये रास नहीं रुका करता है
कुछ पल दूर बिताने से ये प्रेम नहीं मरा करता है !!
नयना दृग भर आये यूँ
दूर तलक फैले नभ में
मेघ तभी घिर आये ज्यूँ
मतवारे मन के आँगन में
हस के फूल खिलने वालों
गरज बरसती बारिश में यूँ
नृत्य सुधा बरसाने वालों
गिरिधर के न आने से ये रास नहीं रुका करता है
कुछ पल दूर बिताने से ये प्रेम नहीं मरा करता है !!
Bahuth achha likhaa hai aapne Rishi Jee..:-)Glad to have met u here..Keep blogging..:-)
ReplyDeletewah wah !! ये प्रेम नहीं मरा करता है !! bahut sahi :)
ReplyDeleteshort, subtle, and very nice ending. . :)
ReplyDeleteI strongly think you can make it longer, without compromising on its quality. . lovely lines..