माँ की तीसरी बेटी की विदाई है
दामाद जी सामने बैठे हैं
"बेटा ये भी ले लो ,
वो तुम्हारी माँ की साड़ी रख दी है ,
आलता और चूड़ी भी ,
समधी जी की पैंट शर्ट भी रखी है ,
मेरी बेटी ने खाया नहीं है कल से कुछ ,
रास्ता लम्बा है आपके घर तक ,
रस्ते में पूछ लीजियेगा
वो खुद नहीं मांगेगी , बड़े नाजों से पाला है "
माँ की आवाज काप रही है
आंसू दिख नहीं रहे हैं
अपने आंसूं खुद हे पिए जा रही है माँ
ख़ुशी का मौका जो है
"बेटा आपकी माँ की तबियत अब कैसी है ,
अरे सुनिए जी ! दामाद जी के परिवार को चौथ का न्योता भी दिए दे रही हूँ
रुमाल पर हल्दी लगा है, ले लीजिये "
दामाद जी के दोस्तों को भी उतना ही प्यार दे रही है माँ ,
"अरे बाबु को दो न, पानी कहाँ है, चाय लाओ
थोडा सा चाय पी लीजिये प्लीज़ "
माँ हसना चाह रही है , कन्यादान का सुख जो है
गर्व भी है
तीन तीन बेटियों का कन्यादान , किसी तीर्थ की अब जरूरत जो नहीं ,
प्यार से पाली बेटी किसी और की हो चुकी है
अब नहीं रुका जा रहा है माँ से ,
आंसू बहने लगे हैं
बेटी को गले लगा कर बोली ,
"बेटी तुम्हे तो कुछ बताने की जरुरत नहीं , अपनी नयी माँ का ख्याल रखना !! "
माँ बाहर तक भी नहीं आई नयी कार में बैठाने बेटी को
आंसुओ का बोझ बेटी का रास्ता भरी न कर दे !!
दामाद जी सामने बैठे हैं
"बेटा ये भी ले लो ,
वो तुम्हारी माँ की साड़ी रख दी है ,
आलता और चूड़ी भी ,
समधी जी की पैंट शर्ट भी रखी है ,
मेरी बेटी ने खाया नहीं है कल से कुछ ,
रास्ता लम्बा है आपके घर तक ,
रस्ते में पूछ लीजियेगा
वो खुद नहीं मांगेगी , बड़े नाजों से पाला है "
माँ की आवाज काप रही है
आंसू दिख नहीं रहे हैं
अपने आंसूं खुद हे पिए जा रही है माँ
ख़ुशी का मौका जो है
"बेटा आपकी माँ की तबियत अब कैसी है ,
अरे सुनिए जी ! दामाद जी के परिवार को चौथ का न्योता भी दिए दे रही हूँ
रुमाल पर हल्दी लगा है, ले लीजिये "
दामाद जी के दोस्तों को भी उतना ही प्यार दे रही है माँ ,
"अरे बाबु को दो न, पानी कहाँ है, चाय लाओ
थोडा सा चाय पी लीजिये प्लीज़ "
माँ हसना चाह रही है , कन्यादान का सुख जो है
गर्व भी है
तीन तीन बेटियों का कन्यादान , किसी तीर्थ की अब जरूरत जो नहीं ,
प्यार से पाली बेटी किसी और की हो चुकी है
अब नहीं रुका जा रहा है माँ से ,
आंसू बहने लगे हैं
बेटी को गले लगा कर बोली ,
"बेटी तुम्हे तो कुछ बताने की जरुरत नहीं , अपनी नयी माँ का ख्याल रखना !! "
माँ बाहर तक भी नहीं आई नयी कार में बैठाने बेटी को
आंसुओ का बोझ बेटी का रास्ता भरी न कर दे !!
Touching...!!!
ReplyDeletevery touching bhai!
ReplyDeletea very well written post!! shabdon ke jaal mein hi kahaani chhupa di aapne!! :)
ReplyDeletea very well written post!! shabdon ke jaal mein hi sab kuch chhup gaya :)
ReplyDeleteReally nice portrayal of a mother's emotions.. something I will come back and read again and again. .
ReplyDeletehar ek line me sachchai hai Rishi bhaiya, bahut achha likhe hain, yun hi likhte rahiye :)) khaaskar akhiri ke 2 lines shandaar hain-
ReplyDeleteमाँ बाहर तक भी नहीं आई नयी कार में बैठाने बेटी को
आंसुओ का बोझ बेटी का रास्ता भरी न कर दे !! :))
very touching...true potrayal of a mother's feeling...every line has its own significance..well done..!!
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