समंदर की लहरों को देखता हूँ
बिना थके
इधर से उधर उधर से इधर
छप्प्क छप्प्पक जूम sssssrsrrrr
उगते सूरज को सुबह और
डूबते को हर शाम देखता हूँ
चंदा की भी वही कहानी है
बस उसको बेमतलब आवारा
बिना काम देखता हूँ
नदिया की लहरों का
क्या कहूँ
उसको तो बस इक तरफ दौड़ते
हर मौसम आम देखता हूँ
उन हसते हुए फूलों को देखो
हसते खिलखिलाते
कली से उन्हें मुरझाते तमाम देखता हूँ
धरती मैय्या का बलिदान देखो
हमे अपने ऊपर धोते
घुमडैया घुमडैया खेलते
थक कर बे-आराम देखता हूँ
बिना थके
इधर से उधर उधर से इधर
छप्प्क छप्प्पक जूम sssssrsrrrr
उगते सूरज को सुबह और
डूबते को हर शाम देखता हूँ
चंदा की भी वही कहानी है
बस उसको बेमतलब आवारा
बिना काम देखता हूँ
नदिया की लहरों का
क्या कहूँ
उसको तो बस इक तरफ दौड़ते
हर मौसम आम देखता हूँ
उन हसते हुए फूलों को देखो
हसते खिलखिलाते
कली से उन्हें मुरझाते तमाम देखता हूँ
धरती मैय्या का बलिदान देखो
हमे अपने ऊपर धोते
घुमडैया घुमडैया खेलते
थक कर बे-आराम देखता हूँ
Badee anoothi rachana hai!
ReplyDeleteThank you Kshama ji ..
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