Wednesday, June 27, 2012

तसल्ली मत दे मुझको मेरे मालिक ..

ज़िन्दगी की तंग बेरंग गलियों में रहा बैठा बरसो


अब उस की गलियों में बदतमीजियों का मजा आ रहा है

सलीके से जीने में क्या रखा है यारों

अब बेपरवाह आवारगी में बड़ा मजा आ रहा है

डाल से टूट नदिया में गिरा तो गम नहीं

नदिया के धारे में रपटने में मजा आ रहा है

तसल्ली मत दे मुझको मेरे मालिक

अब इन बढती बेचैनियों में मजा आ रहा है !!

2 comments:

Thank you for taking time out to comment on this creation. Happy Reading . Please revisit.