संवेदनशीलता का उड़ता उपहास देख रहाहूँ
महाभारत से अबतक सिर्फ येबदलाव देख रहा हूँ
द्रौपदी चीर हरण पर महात्माओं ने तब नजरें झुकली थीं
अब तो सब पर दुह्स्सासन का प्रभाव देख रहा हूँ
मनु पुत्र अब कहाँगए , कहाँ गए सब धर्मराज
दानवों के अट्ठाहसमें , उनके बढ़ते दुस्साहस से
धर्म का प्रतिपलनाश देख रहा हूँ
मानवता पर भीषणअत्याचार देख रहा हूँ
देख रहा हूँ अर्थियों पर होती राजनीति
क्षेत्रवाद से हताहत एक राष्ट्र देख रहा हूँ
कलि के युगका अंत करोअब हे प्रभु
प्रलय वाहक रूद्रके तांडव की राह देख रहा हूँ
महाभारत से अबतक सिर्फ येबदलाव देख रहा हूँ
द्रौपदी चीर हरण पर महात्माओं ने तब नजरें झुकली थीं
अब तो सब पर दुह्स्सासन का प्रभाव देख रहा हूँ
मनु पुत्र अब कहाँगए , कहाँ गए सब धर्मराज
दानवों के अट्ठाहसमें , उनके बढ़ते दुस्साहस से
धर्म का प्रतिपलनाश देख रहा हूँ
मानवता पर भीषणअत्याचार देख रहा हूँ
देख रहा हूँ अर्थियों पर होती राजनीति
क्षेत्रवाद से हताहत एक राष्ट्र देख रहा हूँ
कलि के युगका अंत करोअब हे प्रभु
प्रलय वाहक रूद्रके तांडव की राह देख रहा हूँ
bahut hi badiya likha h... fantastic :)... kahan se laate ho shabd..
ReplyDeletebhari shabdawali! bahut hi khoobsurat rachna hai yeh! par sandesh bahut gehra hai!
ReplyDeleteamazingingly written...selection of words..tone of poem...length...feel..emotions..everythng is so perfect in this......i dunt even like...but loved it...truely deserve hatss off :)
ReplyDeleteAmazingly written....everythng is so perfect....selection of wrds, tone,feel,emotions,length...everythng is so perfect here :)
ReplyDeletefantastic ... :)
ReplyDelete