गहराइयों में डूबे अक्सर समंदर को कोसा करते हैं,
तलहटी में गन्दगी सही , चलो मान लिया तुम्हारा दिल साफ़ है !!
खोयी आवाज़ मेरी शोर के बीचोबीच कहीं,
तुमने पलट का खोजने की कोशिश भी तो नहीं की !!
जिस्म पर लिबास बदलने में बहुत वक़्त लिया तुमने,
कभी मेरे जख्मो पर मलहम लगाने की कोशिश भी तो नहीं की !!
खिड़की के बहार देखता रहा मैं अक्सर तुम्हारी राह,
तुमने एक ख़त लिख कर अपने ना आने की खबर तक तो न दी !!
खिड़की के बहार देखता रहा मैं अक्सर तुम्हारी राह,
ReplyDeleteतुमने एक ख़त लिख कर अपने ना आने की खबर तक तो न दी !!
Bahut khoob!