रेत के घरौंदे बनाना बड़ा अच्छा लगता है
तुम्हारे साथ कल के सपने सजाना अच्छा लगता है
तुम्हारे सामने जाने क्या हो जाता है मुझे
तुम्हे अपनी जिंदगी के किस्से सुनाना अच्छा लगता है ..
तुम्हारी बातें फूलों सी लगती हैं
उन्हें ख्वाबों के गुलदस्तों में सजाना अच्छा लगता है
भीड़ में भी कितना अकेलापन लगता है
बहुत दूर हो कर भी तुम्हारा नाम ले ऐसे हे बुलाना अच्छा लगता है ..
चांदनी की चमकदार चादर फैली हो जैसे
मुझे देख तुम्हारी आँखों में चमक आना अच्छा लगता है
तुम्हारी दोस्ती किताब में रखे गुलाब सी है
हर दिन पन्ने पलट उसे एक टक निहारना अच्छा लगता है ..
wooow bhaiya...this is got to be coming out of some place in ur heart...loved it!!!
ReplyDeleteumda bhaiya...
ReplyDeletehey bhai...
ReplyDeleteitna accha poem kaise likh lete ho.....
its a creation that ll be close to heart...
thanks for tagging me... :)))
Too Good :) :) Mazaa aa gaya!!!
ReplyDeletethis is lovely...
ReplyDeletethis is lovely...
ReplyDeleteचांदनी की चमकदार चादर फैली हो जैसे
ReplyDeleteमुझे देख तुम्हारी आँखों में चमक आना अच्छा लगता है
तुम्हारी दोस्ती किताब में रखे गुलाब सी है
हर दिन पन्ने पलट उसे एक टक निहारना अच्छा लगता है .
Badi sundar,roomani rachana!