जहाँ न चाहो रुकना वहां ख़तम होजाते हैं रास्ते
साथ न छोड़ने का वादा सबका झूठा है
इन रास्तों पर सफ़र ख़तम हो जाये कब किसका
किसको है पता
दूर की तो सोच भी नहीं सकते
अगले मोड़ के आगे जाने क्या है
जिंदगी के रास्ते टेढ़े मेढ़े हैं....
तुम हमसफ़र की सोचते हो बेकार
राह में बिछड़ जाते हैं हमसफ़र
जब न चाहो अलग होना साथी से
तभी बदल जाती हैं मंजिलें
मंजिलें अलग चाहे कितनी हों सबकी, सफ़र ख़तम होता ही है
अपनी रफ़्तार रोक कर मुड़ सको तो जानोगे
तुम हमसफ़र की सोचते हो बेकार ..
Awesome.... :)
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