एक अनजान पथ पर चला जा रहा था
न साथी न मंजिल न कुछ भी नजर आ रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था!!
आजू भी देखा बाजु भी देखा
कहीं भी न कुछ नजर आ रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!
कुछ दूर पथ पर अकेला मैं आगे बढ़ा था
वही आगे एक भिखारी खड़ा था
भिखारी से भी पथ को पूछा था मैंने
भिखारी के आगे भिखारी खड़ा था
इस बात पर वो हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!
नाच रहा था अकेला भाग की मैं उँगलियों पर
रोया रोया और रोया
भाग्य पर मैं फूट रोया
हाल पर ( मेरे ) चश्मा लगाये
मेरा पडोसी हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!
उसकी शादी आज थी और मैं हलवाई बना था
हवा पूरी और खोया
खीर में नीम्बू पड़ा था
हाल पर ( मेरे ) सेहरा सजाये
उसका दूल्हा हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!
साथ मेरे कोई नहीं मैं अकेला जा रहा था
मौत भी आयेगी न मुझको
ख्याल मुझको डरा रहा था
कूद जाऊं फांद जाऊं
डूब जाऊं जा कर कहीं मैं
हाल पर ( मेरे ) पूंछ उठाये
यम का भैंसा हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!
Vivek / Rishi
Ham sabhi akele, anjaan path par chalte hain..halanki yah khayal bhayawah lagta hai..
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