आज मैंने अपनी किताब से दो पन्ने गायब देखे
हताशा में आगे पीछे के पन्ने गिने
पर कोई फायदा न हुआ
खैर उस किताब को बगल में रख
आगे बढ़ गया
बरसों से अपनी जिंदगी के अनचाहे पन्नों को
बगैर सोचे मैं निकाल कर फेकता रहा हूँ
कोई मेरी जिंदगी कि किताब पढ़ने बैठा तो
कितना हताश और परेशां होगा
पहले के सालों से तो जैसे कोई रिश्ता ही नहीं रहा मेरा
मैं अपने बचपन स्कूल या कॉलेज को
मेरे दोस्तों कि तरह याद नहीं करता
शायद कभी नहीं करता
फिर सोचता हूँ अभी मेरी जिंदगी पहले से
कहीं ज्यादा खुश और रोमांचक है
इसीलिए शायद पुरानी बातें याद नहीं आती
सच में ऐसा है क्या ?
पूछा आज सुबह खुद से
अब तक जवाब नहीं आया !!
Moving on is an art...only the very intelligent possess it :)
ReplyDeleteKeep writing..
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