Monday, January 11, 2010

एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!

एक अनजान पथ पर चला जा रहा था
न साथी न मंजिल न कुछ भी नजर आ रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था!!

आजू भी देखा बाजु भी देखा
कहीं भी न कुछ नजर आ रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!

कुछ दूर पथ पर अकेला मैं आगे बढ़ा था
वही आगे एक भिखारी खड़ा था
भिखारी से भी पथ को पूछा था मैंने
भिखारी के आगे भिखारी खड़ा था
इस बात पर वो हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!

नाच रहा था अकेला भाग की मैं उँगलियों पर
रोया रोया और रोया
भाग्य पर मैं फूट रोया
हाल पर ( मेरे ) चश्मा लगाये
मेरा पडोसी हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!

उसकी शादी आज थी और मैं हलवाई बना था
हवा पूरी और खोया
खीर में नीम्बू पड़ा था
हाल पर ( मेरे ) सेहरा सजाये
उसका दूल्हा हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!

साथ मेरे कोई नहीं मैं अकेला जा रहा था
मौत भी आयेगी न मुझको
ख्याल मुझको डरा रहा था
कूद जाऊं फांद जाऊं
डूब जाऊं जा कर कहीं मैं
हाल पर ( मेरे ) पूंछ उठाये
यम का भैंसा हँसा जा रहा था
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!
एक अनजान पथ पर चला जा रहा था !!

Vivek / Rishi

जब मैं अकेला चलता हूँ

जब मैं अकेला चलता हूँ
तो लोग मेरी मुस्कराहट का राज़ पूछते हैं
तुम्हारे ख्यालों में डूबे मेरे दिल में
बजती धुनों का साज़ पूछते हैं
बेताबियों को पढ़ कर मेरी अक्सर
मुझसे मेरे जज़्बात पूछते हैं
झोका हवा का हूँ मैं , मुझसे
कैसे उठा ये तूफ़ान पूछते हैं !!!

Vivek / Rishi

शादी से पहले और शादी के बाद

शादी से पहले

खुली मेरी खिड़की है बंद तेरा दरवाजा
नजरें मिलाऊं कैसे मुझे बतलाइए
पागल तेरा कुत्ता है पागल तेरा भाई है
पास तेरे आऊं कैसे मुझे बतलाइए
घर से बहार जब माँ बाप भाई जाएँ
खिड़की पे आके ज़रा दरस दिखाइए
प्यार को तेरे मैं तरस रहा हूँ गोरी
कुछ भी करिए पर तड़प मिटाइए !!

अब शादी के बाद

खुली मेरी खिड़की है खुला मेरा दरवाजा
कब आप जाएँगी मुझे बतलाइए
पागल तेरा कुत्ता था पागल तेरा भाई था
मैं भी पागल हो गया हूँ
कुछ तो रहम खाइए
घर से बहार जब चुन्नी मुन्नी मुन्ना जाएँ
खिड़की से कूद के आप भाग जाइये
प्यार को तेरे मैं भुगत रहा हूँ गोरी
मुझे मार दीजिये या छत से कूद जाइये !!!